13 March, 2015

मैं और मेरी खासी, अक्सर ये बातें करते हैं।


मफलर
मैं और मेरी खासी, अक्सर ये बातें करते हैं
मै होता तो कैसा होता, मै ये कहता,  मै वो कहता
सब इस बात पे हैरां होते, सब उस बात पे कितने हँसते
मै होता तो कैसा होता, मै ये कहता,  मै वो कहता
मैं और मेरी खासी, अक्सर ये बातें करते हैं

खासी :
ये कहाँ आ गये हमयूँही साथ साथ चलते 
तेरी गले में है जानम, मेरे जिस्म\-\-जान पिघलते

मफलर:
ये राज है, या हमारा पोल खुला हुवा हैं
है अंधेरी रात तुम्हारी नज़रों से भी,  मेरी इज्जत धुली हुई हैं
ये चाँद है, या हमारा दागोंका हिस्सा  
सितारे हैं या लोगोंका गुस्सा   
हवा का झोंका है, या हमारे सोच की बदबू
ये पत्तियों की है सरसराहट
के ‘आप’ने चुपके से कुछ कहा
ये सोचता हूँ मैं कबसे गुमसुम
कि जबकी मुझको भी ये खबर है
कि यह सब सच है, यह सब सच है
मगर ये दिल है कि पुछ रहा है
अब क्या होगा? अब क्या होगा ? 

खासी :
तू बदन है मैं हूँ साया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे अक्तीयार करने वाले, तू जहाँ है मैं वहाँ हूँ
हमें मिलना ही था हमदम, इसी राह पे निकलते
ये कहाँ आ गये हम

तेरी साँस साँस दहके, कोई भीना भीना जहर
हर बार गंदगी है, तेरा दिल है जैसे गटर
कोइ और भी है मिलता युही शाम ढलते ढलते  
ये कहाँ आ गये हम

मफलर :
मजबूर ये हालात, इधर भी है उधर भी
तन्हाई के ये रात, इधर भी है उधर भी
कहने को बहुत कुछ है, मगर किससे कहें हम
कब तक यूँही खामोश रहें, और सहें हम
दिल्ली कहती है दुनिया की हर इक रस्म उठा दें
दीवार जो हम दोनो में है, आज बढा दें
क्यों दिल में सुलगते रहें, लोगों को बता दें
हां हमभी वैसेही है, वैसेही है, वैसेही है,  
अब दिल्ली में यही बात, इधर भी है, उधर भी

खासी:  
ये कहाँ आ गये हम, ये कहाँ आ गये हम   


No comments:

Post a Comment

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails
 

Design in CSS by TemplateWorld and sponsored by SmashingMagazine
Blogger Template created by Deluxe Templates Tested Blogger Templates